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भारतीय समाज के परंपरागत मूल्यों में वृद्ध-जनों को सम्मान देना और देखभाल करने पर बल दिया जाता है । लेकिन हाल के समय में समय में धीरे-धीरे लेकिन निश्चित तौर पर संयुक्त परिवार प्रणाली में विघटन हो रहा है, परिणाम-स्वरुप भावात्मक,शारीरिक और वित्तीय सहायता की कमी से काफी संख्यामें माता-पिता का उनके परिवार द्वारा उपेक्षा की जा रही है, यह वृद्ध-जन पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा की कमी में, अनेक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, इससे स्पष्ट होता है कि वृद्धावस्था एक बड़ी सामाजिक चुनौती बन गई है।